Makar Sankranti Puja Date 14th January 1990 : Place Mumbai Type Puja Speech Language English CONTENTS Transcript 02 - 03 English Hindi Marathi || Translation English 04 - 05 Hindi 06 - 07 Marathi ORIGINAL TRANSCRIPT ENGLISH TALK Today is a day for us to celebrate in India very much and may be also most of the year, because the Sun goes down to the, to the Capricorn and from Capricorn it then comes to tropic of Cancer. When the Sun comes on this Earth back, then all the creativity of the Mother Earth starts, acting and She creates such beautiful things like flowers, such nice things, nourishing things like fruits and fulfilling things like fruits. She makes our eyes cool down with the greenery She has and the way She blesses us is manifold with the advent "of the Swarg [-- heaven Sahaja Yoga has risen, risen and is coming to the zenith and it has definitely shown you the result on the Earth principle that is the your Mooladhara and the creative power of that Mooladhara which is the Kundalini, has been rising and rising and rising and opening your being and showing the results in your lives which has made your lives very beautiful, which has made your life very joyous and very happy. – ed]". In the same way, now that the Sun of 66 Now we are at a point where we have to trigger a new jump. A new flight we have to take and for this flight we have to see that we really become very light in our ideas, in our thoughts and in our conditionings. We are so much full of conditionings; all kinds of conditionings are on us. They are so deep that sometimes I fail to understand human beings. I just don't understand how they get stuck to things which are of no value, which have no sense and they get lost. In this higher jump that we are going to take, many will be left behind as a result; those who won't be able to come out of that. So at this stage, I have to request you that you should really fully dedicate yourself to meditation and surrender yourself to collectivity and everyday you must think in the evening what have I done for Sahaja Yoga? What have I done for myself? Please try to understand that there is a very big jump that we have to take. It is to be triggered and for that I would like you to be ready to be absolutely prepared, because in this jump many might be lost and many might be just left behind because they could not get over their conditionings. The conditionings are of various types as you know very well, of ignorance, blind faith and all other things that we have gone through. Also we have conditionings of our country, of our race, of our styles and so many other things by which we judge others. But we have to judge ourselves that; Are we in a Sahaj Culture or not? If we are not in the Sahaj Culture, then it is going to be very difficult that you board the ship which is going to take us all. if I have to just warn you that later on you shouldn't say that “Mother, so many were left behind"; you find anybody is left behind, please try to help that person, please try to correct that person and with clear ideas and with clear voice and with clear cut instructions. If you really find that somebody is going down, you better warn. I am telling you all today because you will be departing that you should look after your fellow men, Sahaja Yogis and tell them that this is a very crucial time and at this time none of us should just take for granted Sahaja Yoga. All other things are just a kind of an illusion that you feel that the worldly things are all right or with the worldly things you can manage. God does not care for people who are rich or people, who are well off or people who are poor. But [BUT or WHAT] He sees, what richness you have got of Spirituality? He doesn't bother about your education, of your have degrees, of your purposeness, nothing. What He sees? How innocent you are and how much you worked for Sahaja Yoga? What you have done for God's love? So all these priorities have to be changed and one must understand that Sahaja Yoga judges you on a very subtle way. So in this last judgment now, as many people have been judged; as good people, very nice people, but still for the second jump that you are going to have, we have to be very careful; that may be some of you who think in their Heart, they are Sahaja Yogis, but are not, may be left behind. So it is important that the Sun has risen and now it has gone to the zenith and at the time of its zenith, one has to be very careful because the same Sun which has started making this beautiful greenery all around us may scorch with its heat, Original Transcript : English many of them. So be careful and one has to be all the time under the guidance of Sahaj Yoga to understand; what is wrong with us? What is making us so heavy? What is making us so difficult? So far I am very happy that whatever I've been telling you and whatever I've been guiding you, you have accepted it very well, calmly and sweetly and that I've tried to imbibe it in your life style. Actually after some time, I don't think that I will have to tell you, you will get our own light to see for yourself what is right and what is wrong. But still I would say for all the western people specially, that you must open your Heart in the Puja, in the music, in anything. Just see that you open your Heart. If you cannot open your Heart, this won't work because this works to Spirit which resides in your Heart. So please try to open your Heart for everything. All your conditionings, all your ego will disappears one you decide that I have to open my Heart in Sahaja Yoga. May God bless you all. 3 HINDI TRANSLATION (English Talk) आज का दिन भारत में हमारे लिए बहुत ही खुशियों का दिन है। सूर्य अभी मकर अक्ष में है और मकर अक्ष से वह कर्कवृत्त में जब आता है तब यह सूर्य पृथ्वी के नजदीक आता है तब यह धरणीमाता सृजनशीलता से पुनः कार्यान्वित होती है और अत्यन्त सुन्दर फुलों का निर्माण करती है। सुन्दर, पौष्टिक और पूर्ण समाधान देने वाली चीज़ों का उदा.फलों का निर्माण करती है और वह अपने आँखों को हरियाली द्वारा ठण्डक पहुँचाती है जो उसी के पास है। केवल सूर्य के आगमन से पृथ्वी हमें बहविधि ऐसी चीज़ों से आशीर्वादित करती है। इसी तरह से सहजयोग के सूर्य का उदय हुआ है और शिरोबिन्दु तक पहुँच रहा है। और आपको इसका परिणाम भी दिखाया गया है भूमी तत्व पर जो कि आपका मूलाधार है और इस मूलाधार की सृजन शक्ति जो कि कुण्डलिनी है, वो चढ़ती जा रही है और आपके अस्तित्व से खेल रही है जिसका परिणाम आप अपनी जिन्दगी में देख सकते हैं जिसके कारण आपकी जिन्दगी बहुत सुन्दर हो गयी है, जिसने आपकी जिन्दगी को आनन्द से ओतप्रोत कर दिया है। अब आप लोग एक ऐसी जगह पहुँच गये हैं जहाँ से एक उँची उड़ान लेनी है। इस उड़ान के समय आपको अपने विचारों पर अपनी कल्पनाऐँ और अपनी शर्तें इन सब पर नजर रखनी चाहिये । इन्ही कंडिशनिंग की वजह से में हम खुद को उलझायें हुए हैं जिसके कारण हम पर उनका बुरा असर पड़ता है। मुझे यह बात हम उनके जाल समझ में नहीं आ रही है कि मूलत: जिनकी कोई किमत नहीं फिर भी हम उनसे चिपके रहते हैं, जिनमें कोई जान ही नहीं है। जब आप किसी उँचाई तक पहुँचते हैं तब बहुत से लोग पीछे रहते हैं; छूट जाते हैं कारण है कंडिशनिंग्ज। हो सकता है कोई उसमें से बाहर ही ना निकले। तो मेरी आपसे नम्र प्रार्थना है कि आपने अपने आपको ध्यान में संपूर्ण समर्पित करना है। सामुहिकता में खुद को एकरंग करना है। आपको संपूर्णतया सामुहिकता के शरण में जाना है। हर रोज आपने स्वयं को यह सवाल करना है कि, मैंने सहजयोग के लिए क्या किया? खुद के लिए मैंने क्या किया? कृपया आप सभी समझ लीजिए कि आपने जो जिम्मेदारी स्विकार की है उसे संपूर्णतया निभाने के लिए आपको तैयार रहना है, यह मेरी इच्छा है। ऐसा न हो कि इस उड़ान के सिलसिले में आपमें से कोई पीछे रह जाए, कोई खो जाए क्योंकि अब तक आपने अपने आपको कंडिशनिंग से बाहर नहीं निकाला है। यह कंडिशनिंग्ज अनेक प्रकार की होती है। कोई अज्ञान में से निर्माण होती है, कोई अंधविश्वास से निर्माण होती है। या फिर उन सबसे निर्माण होती जिनका हमें सामना करना पड़ता हो। कभी-कभी आपने ही देश की कंडिशनिंग होती है, हमारी जाती से होती है। अपनी विशिष्ट आदतों से वे निर्माण हो सकती है। ऐसी और भी चीजें हैं जिनके द्वारा हम एक दूसरों को तोलते-नापते हैं मगर यहाँ हमने अपने आपको ही तौलना है । यह देखना है कि क्या हम सहज संस्कृति का पालन कर रहे हैं या नहीं। अगर आपने सहज संस्कृति को नहीं अपनाया तो आपके लिए बहत कठिन हो जाएगा। आपको सावधान करना चाहती हूँ कि जो नाव सब को लेकर चलने वाली है, उस पर Hindi Translation (English Talk) कुछ लोग तो पीछे रह गये हैं, कृपया उनकी मदद आप सवार नहीं हो पाएंगे, फिर आप कहोगे कि 'माताजी, कीजिए ।' ऐसे लोगों की आप मदद कीजिए, उनको वास्तविक स्थिती से पहचान करवा दीजिए । साफ शब्दों में कह दीजिए । उन्हें नेक रास्ते पर चलने की साफ-साफ सूचना दीजिए। जब भी आपको पता चलें कि वे गलत रास्ते से जा रहे हैं उन्हें सतर्क कर दीजिए। दिन-ब-दिन हालात खराब होती जा रही हैं। निर्णायक समय आ चुका है। तो आप सभी ने सहजयोग को सहज में ना ले तो बहुत अच्छा होगा। यही मैं आपसे निवेदन करना चाहती हैँ। बाकी सब चीज़ें एक माया जाल की तरह है जहाँ आपको भौतिक चीज़ें ठीक लगती है, उनसे आप सब कर सकते हैं, ऐसा लगता है आपको। यहाँ परमात्मा यह नहीं देखते हैं कि कौन अमिर है, कौन पैसे वाला है, कौन गरीब है। वह केवल एक ही चीज़ देखता हैं कि आप अध्यात्म की दृष्टि से कितने अमीर हैं। परमात्मा यह भी नहीं देखता कि, आपकी शैक्षिक पात्रता क्या है, आपके पास विश्वविद्यालय की कितनी उपाधियाँ हैं। आप का उद्देश्य क्या है। वह केवल यह देखता हैं कि आप कितने अबोध है। आपने सहजयोग के लिए क्या किया ? आपने ईश्वर के लिए कितना काम किया ? इसलिए आपने कौन कौन सी चीज़ों को प्राधान्य देना है यह आपने तय करना है इसकी ओर नजर रखें। सहजयोग आपको अत्यन्त सूक्ष्म से आँकता है। तो अब इस निर्णायक समय में आप लोग | निर्णायक जाने गये हैं। मगर आने वाली चढ़ान के लिए आपको अत्यन्त सावधानी बरतनी है। जिनको हृदय से लगता है कि मैं एक सहजयोगी हूँ पर वास्तव में नहीं है, ऐसे लोग पीछे रह सकते हैं । तो अब सूर्य का उदय हो चुका है। शिरोबिन्दु तक यह अत्यन्त महत्वपूर्ण बात है। ऐसे में हर एक ने अपने आप में सावधानी बरतनी है। जो सूरज अपने इर्द-गिर्द हरियाली फैलाता है वही सूरज अपनी गर्मी से हमें झुलसा सकता है। तो आप सावधानी से रहें। हर वक्त सहजयोग के मार्गदर्शन में रहें आरै देखें कि हमसे क्या गलतियाँ हुई है। हममें यह जडत्व क्यों निर्माण हुआ है, हमारा यह मार्ग क्यों दुर्गम होता जा रहा है? अब तक तो मैं बहुत ही खुश हूँ बहुत आनन्द में हूँ कि आज तक मैं आपको जो भी कहती रही, जिस जिसका भी आपको मार्गदर्शन दिया है, वह आपने शांती से सुना और अपनाया भी है। और तो और रोज मर्रा की जिन्दगी में आपने उसे ग्रहण भी किया है, अमल भी किया है। मुझे नहीं लगता है कि कुछ समय के बाद आपको कुछ बताने की जरूरत पड़ती। आगे जा कर आपको आपके प्रकाश में ही ज्ञान हो जाएगा कि क्या गलता है क्या सही है। फिर भी मुझे लगता है कि पूजा में और संगीत में तथा और अन्य चीज़ों के लिए आप अपना हृदय खोल दें। अगर आप अपना हृदय नहीं खोलेंगे तो कोई भी चीज़ कार्यान्वित नहीं होगी। कोई भी चीज़ उसी समय कार्यान्वित होगी जब आपकी आत्मा हृदय में होगी। आपकी सभी कंडिशनिंग्ज आपका अहंकार पूर्णतया गायब हो जाएगा, अगर आप खुद ही तय करेंगे कि सहजयोग के लिए मैं अपना हृदय संपूर्णतया खोल दूँ। आपको अनेक आशीर्वाद ! MARATHI TRANSLATION (English Talk) आजचा दिवस भारतात आपल्याला साजरा करण्याजोगा आहे कारण सूर्य हा आता मकरवृत्तात आहे आणि मकरवृत्तातून तो कर्कवृत्ताकडे येतो जेव्हा सूर्य हा पृथ्वीकडे परत येतो तेव्हा ह्या धरणीमातेची संपूर्ण सर्जनशीलता कार्यान्वित होते आणि ती अत्यंत सुंदर अशा फुलांची निर्मिती करते, तसेच सुंदर, पौष्टिक गोष्टींची आणि पुन्हा पूर्तता देणार्या गोष्टींची उदा.फळांची निर्मिती आणि ती आपल्या डोळ्यांना, हिरवळीने थंडावा देते. जे तिच्याकडे आहे. सूर्याच्या केवळ आगमनाने पृथ्वी आपल्याला बहविध अनेक अशा गोष्टींनी आशीर्वादित करते. असाच एक सूर्य, सहजयोगाचा आता उगवला आहे आणि कळस, अगदी कळसापर्यंत. ह्याचा तुम्हाला प्रत्यय आलाच आहे. अगदी सर्वप्रथम, मुख्य असे तुमचे मूलाधार, त्या मूलाधाराची जी शक्ती, सर्जनशील शक्ती, जी कुंडलिनी उत्थान पावली आहे. जिच्या उत्थानाने तुमच्या अस्तित्वाला एक रूप आले आहे. त्याची प्रचिती तुम्हाला पदोपदी आली आहे. तुमचे जीवनच सुंदर बनले आहे. अगदी आनंदी, आनंदाने ओथंबलेले असे तुमचे जीवन झाले आहे. आता आपण अशा एका उच्च ठिकाणी पोहोचलो आहोत जिथून तुम्हाला उंच भरारी, एक उंच झेप घ्यायची आहे. ही भरारी घेतेवेळी तुम्हाला सारासार विचार, कल्पना आणि आपल्या अटी आपल्या श्तीं ह्या सर्वांकडे आपल्याला लक्ष द्यायला हवे. तुम्ही स्वत:ला ह्या कंडिशनिंगनी घेरलेले असते. सर्व कंडिशनिंगचा आपल्यावर भडिमार झालेला असतो. मला हे समजत नाही की ज्या गोष्टींची मूलत: काहीच किंमत नाही तरीही त्यांना आपण चिकटतो. ज्या अर्थहीन आहेत आणि ज्या नाहीशा होतात. ह्या उड्डाणात ही उंच उडी घेतेवेळी, ही झेप घेतेवेळी जी तुम्ही घेणार आहात त्यात बरेच जण पाठीमागे टाकले जाणार आहात. ह्याचा परिणाम म्हणून कदाचित त्यातून कोणी बाहेरही पडू शकणार नाही. तेव्हा ह्या क्षणी माझी तुम्हाला नम्र विनंती आहे की तुम्ही स्वत:ला ध्यानामध्ये संपूर्ण समर्पित करून घ्या. सामूहिकतेत स्वत:ला झोकून द्या. दररोज तुम्ही स्वत:ला हा प्रश्न केला पाहिजे की मी सहजयोगासाठी काय केले? मी स्वत:साठी काय केले? कृपया तुम्ही स्वत: हे समजून घ्या की तुम्ही ही जी झेप घेतली आहे, जी जबाबदारी स्वीकारली आहे ती संपूर्णपणे अचूकपणे घेतली पाहिजे. त्यासाठी मी तुम्हाला संपूर्ण तयारीत रहा हा सल्ला देते. संपूर्ण तयारीत राहणे म्हणजे ह्या उडीमध्ये, ह्या भरारीमध्ये तुम्ही स्वत:लाच कुठे हरवून बसाल किंवा काही पाठीमागे ही टाकले जाल. कारण तुम्ही स्वत:ला त्या कंडिशनिंगमधून बाहेर काढले नसेल. कंडिशनिंग अनेक प्रकारच्या आहेत. काही अज्ञानातून निर्माण होतात. काही अंधविश्वासातून आणि अशा अनेक गोष्टी ज्यामधून आपल्याला जावे लागलेले असते. कधीकधी आपल्या देशाच्या कंडिशनिंग असतात, कधी आपल्या जातीच्या, काही आपल्याच विशिष्ट शैलीतून निर्माण झालेल्या असतात आणि अजून अशा बऱ्याच गोष्टी असतात ज्यातून आपण दुसऱ्यांना तोलत-मोलत असतो. परंतु इथे आपण स्वत:लाच तोलायला हवे, स्वत:ला सांगायला हवे की आपण स्वत: सहज संस्कृती अंगीकारली आहे. ही गोष्ट लक्षात नाही ठेवली तर 6. Marathi Translation (English Talk) खुप कठीण होऊन बसेल. जी बोट आपल्याला घेऊन जाणार-मी तुम्हाला सावध करू इच्छिते ह्याबाबत, की म्हणाल, 'माताजी, किती तरी लोक पाठीमागे राहिले आहेत.' जर तुमच्या लक्षात आले की काही लोक पाठीमागेच आहेत, त्यांना मदत करा. वस्तुस्थितीची जाणीव द्या. स्पष्ट शब्दात सांगून आणि स्पष्ट सूचना देऊन त्यांना योग्य मार्गावर ठेवा. तुम्हाला जर जाणवले की अमूक एक चुकीच्या मार्गावर आहे तर त्याला योग्य ताकीद द्या. आज ह्या क्षणी ही वेळ अटीतटीची आहे. तेव्हा तुम्ही सर्वांनी सहजयोगाला एकदम गृहीत धरू नका हे मी तुम्हाला सांगू इच्छिते. इतर सर्व गोष्टी एखाद्या मृगजळासारख्या आहेत. ज्या तुम्हाला त्या वेळी भौतिकतेतल्या गोष्टीच बरोबर असल्यासारख्या वाटतात आणि ह्या भौतिकतेतल्या गोष्टी तुम्ही थोड्या ताब्यात ठेऊ शकता. इथे परमेश्वर पर्वा करत नाही की कोण श्रीमंत आहे, अत्यंत सुस्थितीत आहे आणि कोण गरीब आहे. तो केवळ हे बघतो की आध्यात्मिक दृष्टीने कोण किती श्रीमंत आहे. परमेश्वर हे ही बघत नाही की तुमची शैक्षणिक पात्रता काय आहे ? तुमच्याकडे किती पदव्या आहेत किंवा तुमचा दिखाऊपणा किती वगैरे. तो केवळ बघतो हे की तुम्ही किती अबोधित आहात. तुम्ही सहजयोगासाठी किती कार्य केले? तुम्ही परमेश्वरासाठी काय काम केले? तेव्हा तुम्ही तुमच्या कोणत्या गोष्टींना प्राधान्य द्यायला हवे ह्याकडे लक्ष द्या. मी तुम्हाला आवर्जून सांगू इच्छिते की सहजयोग तुम्हाला अत्यंत सूक्ष्म नजरेतून पारखत असतो. तेव्हा ह्या अखेरच्या निवाड्यात तुम्ही लोक निर्णायक ठरला आहात. परंतु पुढच्या पायरीसाठी तुम्हाला अत्यंत काळजीपूर्वक राहायला हवे, ज्यांना वाटते अगदी हृदयातून की मी सहजयोगी आहे पण ते नाही आहेत, ते पाठीमागेच राहतात ह्या शर्यतीत. तेव्हा सुर्य उगवला आहे हे अत्यंत महत्त्वाचे आहे. अगदी शिखरापर्यंत पोहोचला आहे आणि ह्या काळात प्रत्येकाने ही काळजी घ्यायला हवी की तोच सूर्य आपल्या सभोवताली हिरवळ पसरवितो तोच सूर्य आपल्या प्रखरतेने ओरबाडे मारतो. तेव्हा काळजीपूर्वक राहा. आपल्यामध्ये काय चुकते, आपल्यामध्ये असे जडत्व का येते, आपला मार्ग असा दुर्गम का होतोय? परंतु आतापर्यंत मी अतिशय खुष आहे, अगदी आंनदी आहे जे काही मी तुम्हाला सांगत आले, ज्या ज्या बाबतीत मी तुम्हाला मार्गदर्शन केले ते तुम्ही शांतपणे मान्य केले अगदी रोजच्या जीवनात तुम्ही त्याला ग्रहण केलेत, त्याला अमलात आणले. काही कालांतराने मला नाही वाटत की मला तुम्हाला आणखी काही सांगायची जरूर पडेल. पुढे तुम्हाला तुमच्याच प्रकाशात काय चूक आहे, काय बरोबर हे आपोआपच दिसायला लागेल. परंतु तरीपण मला वाटते पूजेमध्ये, संगीतात तसेच प्रत्येक गोष्टीमध्ये तुम्ही तुमचे हृदय उघडे ठेवायला हवे. जर तुम्ही तुमचे हृदय उघडे ठेवले नाही तर कोणतीच गोष्ट कार्यान्वित होणार नाही. कारण ती गोष्ट तेव्हाच कार्यान्वित होते जेव्हा तुमचा आत्मा तुमच्या हृदयात असतो. तुमच्या सर्व कंडिशनिंग्ज तुमचा अहंकार पूर्णपणे गायब होईल जेव्हा तुम्ही तुमचेच ठरवाल की सहजयोगासाठी मी माझे हृदय संपूर्णपणे उघडे ठेवायला हवे. तुम्हाला अनेक आशीर्वाद ! ---------------------- 19900114_Makar Sankranti Puja_Mumbai.pdf-page0.txt Makar Sankranti Puja Date 14th January 1990 : Place Mumbai Type Puja Speech Language English CONTENTS Transcript 02 - 03 English Hindi Marathi || Translation English 04 - 05 Hindi 06 - 07 Marathi 19900114_Makar Sankranti Puja_Mumbai.pdf-page1.txt ORIGINAL TRANSCRIPT ENGLISH TALK Today is a day for us to celebrate in India very much and may be also most of the year, because the Sun goes down to the, to the Capricorn and from Capricorn it then comes to tropic of Cancer. When the Sun comes on this Earth back, then all the creativity of the Mother Earth starts, acting and She creates such beautiful things like flowers, such nice things, nourishing things like fruits and fulfilling things like fruits. She makes our eyes cool down with the greenery She has and the way She blesses us is manifold with the advent "of the Swarg [-- heaven Sahaja Yoga has risen, risen and is coming to the zenith and it has definitely shown you the result on the Earth principle that is the your Mooladhara and the creative power of that Mooladhara which is the Kundalini, has been rising and rising and rising and opening your being and showing the results in your lives which has made your lives very beautiful, which has made your life very joyous and very happy. – ed]". In the same way, now that the Sun of 66 Now we are at a point where we have to trigger a new jump. A new flight we have to take and for this flight we have to see that we really become very light in our ideas, in our thoughts and in our conditionings. We are so much full of conditionings; all kinds of conditionings are on us. They are so deep that sometimes I fail to understand human beings. I just don't understand how they get stuck to things which are of no value, which have no sense and they get lost. In this higher jump that we are going to take, many will be left behind as a result; those who won't be able to come out of that. So at this stage, I have to request you that you should really fully dedicate yourself to meditation and surrender yourself to collectivity and everyday you must think in the evening what have I done for Sahaja Yoga? What have I done for myself? Please try to understand that there is a very big jump that we have to take. It is to be triggered and for that I would like you to be ready to be absolutely prepared, because in this jump many might be lost and many might be just left behind because they could not get over their conditionings. The conditionings are of various types as you know very well, of ignorance, blind faith and all other things that we have gone through. Also we have conditionings of our country, of our race, of our styles and so many other things by which we judge others. But we have to judge ourselves that; Are we in a Sahaj Culture or not? If we are not in the Sahaj Culture, then it is going to be very difficult that you board the ship which is going to take us all. if I have to just warn you that later on you shouldn't say that “Mother, so many were left behind"; you find anybody is left behind, please try to help that person, please try to correct that person and with clear ideas and with clear voice and with clear cut instructions. If you really find that somebody is going down, you better warn. I am telling you all today because you will be departing that you should look after your fellow men, Sahaja Yogis and tell them that this is a very crucial time and at this time none of us should just take for granted Sahaja Yoga. All other things are just a kind of an illusion that you feel that the worldly things are all right or with the worldly things you can manage. God does not care for people who are rich or people, who are well off or people who are poor. But [BUT or WHAT] He sees, what richness you have got of Spirituality? He doesn't bother about your education, of your have degrees, of your purposeness, nothing. What He sees? How innocent you are and how much you worked for Sahaja Yoga? What you have done for God's love? So all these priorities have to be changed and one must understand that Sahaja Yoga judges you on a very subtle way. So in this last judgment now, as many people have been judged; as good people, very nice people, but still for the second jump that you are going to have, we have to be very careful; that may be some of you who think in their Heart, they are Sahaja Yogis, but are not, may be left behind. So it is important that the Sun has risen and now it has gone to the zenith and at the time of its zenith, one has to be very careful because the same Sun which has started making this beautiful greenery all around us may scorch with its heat, 19900114_Makar Sankranti Puja_Mumbai.pdf-page2.txt Original Transcript : English many of them. So be careful and one has to be all the time under the guidance of Sahaj Yoga to understand; what is wrong with us? What is making us so heavy? What is making us so difficult? So far I am very happy that whatever I've been telling you and whatever I've been guiding you, you have accepted it very well, calmly and sweetly and that I've tried to imbibe it in your life style. Actually after some time, I don't think that I will have to tell you, you will get our own light to see for yourself what is right and what is wrong. But still I would say for all the western people specially, that you must open your Heart in the Puja, in the music, in anything. Just see that you open your Heart. If you cannot open your Heart, this won't work because this works to Spirit which resides in your Heart. So please try to open your Heart for everything. All your conditionings, all your ego will disappears one you decide that I have to open my Heart in Sahaja Yoga. May God bless you all. 3 19900114_Makar Sankranti Puja_Mumbai.pdf-page3.txt HINDI TRANSLATION (English Talk) आज का दिन भारत में हमारे लिए बहुत ही खुशियों का दिन है। सूर्य अभी मकर अक्ष में है और मकर अक्ष से वह कर्कवृत्त में जब आता है तब यह सूर्य पृथ्वी के नजदीक आता है तब यह धरणीमाता सृजनशीलता से पुनः कार्यान्वित होती है और अत्यन्त सुन्दर फुलों का निर्माण करती है। सुन्दर, पौष्टिक और पूर्ण समाधान देने वाली चीज़ों का उदा.फलों का निर्माण करती है और वह अपने आँखों को हरियाली द्वारा ठण्डक पहुँचाती है जो उसी के पास है। केवल सूर्य के आगमन से पृथ्वी हमें बहविधि ऐसी चीज़ों से आशीर्वादित करती है। इसी तरह से सहजयोग के सूर्य का उदय हुआ है और शिरोबिन्दु तक पहुँच रहा है। और आपको इसका परिणाम भी दिखाया गया है भूमी तत्व पर जो कि आपका मूलाधार है और इस मूलाधार की सृजन शक्ति जो कि कुण्डलिनी है, वो चढ़ती जा रही है और आपके अस्तित्व से खेल रही है जिसका परिणाम आप अपनी जिन्दगी में देख सकते हैं जिसके कारण आपकी जिन्दगी बहुत सुन्दर हो गयी है, जिसने आपकी जिन्दगी को आनन्द से ओतप्रोत कर दिया है। अब आप लोग एक ऐसी जगह पहुँच गये हैं जहाँ से एक उँची उड़ान लेनी है। इस उड़ान के समय आपको अपने विचारों पर अपनी कल्पनाऐँ और अपनी शर्तें इन सब पर नजर रखनी चाहिये । इन्ही कंडिशनिंग की वजह से में हम खुद को उलझायें हुए हैं जिसके कारण हम पर उनका बुरा असर पड़ता है। मुझे यह बात हम उनके जाल समझ में नहीं आ रही है कि मूलत: जिनकी कोई किमत नहीं फिर भी हम उनसे चिपके रहते हैं, जिनमें कोई जान ही नहीं है। जब आप किसी उँचाई तक पहुँचते हैं तब बहुत से लोग पीछे रहते हैं; छूट जाते हैं कारण है कंडिशनिंग्ज। हो सकता है कोई उसमें से बाहर ही ना निकले। तो मेरी आपसे नम्र प्रार्थना है कि आपने अपने आपको ध्यान में संपूर्ण समर्पित करना है। सामुहिकता में खुद को एकरंग करना है। आपको संपूर्णतया सामुहिकता के शरण में जाना है। हर रोज आपने स्वयं को यह सवाल करना है कि, मैंने सहजयोग के लिए क्या किया? खुद के लिए मैंने क्या किया? कृपया आप सभी समझ लीजिए कि आपने जो जिम्मेदारी स्विकार की है उसे संपूर्णतया निभाने के लिए आपको तैयार रहना है, यह मेरी इच्छा है। ऐसा न हो कि इस उड़ान के सिलसिले में आपमें से कोई पीछे रह जाए, कोई खो जाए क्योंकि अब तक आपने अपने आपको कंडिशनिंग से बाहर नहीं निकाला है। यह कंडिशनिंग्ज अनेक प्रकार की होती है। कोई अज्ञान में से निर्माण होती है, कोई अंधविश्वास से निर्माण होती है। या फिर उन सबसे निर्माण होती जिनका हमें सामना करना पड़ता हो। कभी-कभी आपने ही देश की कंडिशनिंग होती है, हमारी जाती से होती है। अपनी विशिष्ट आदतों से वे निर्माण हो सकती है। ऐसी और भी चीजें हैं जिनके द्वारा हम एक दूसरों को तोलते-नापते हैं मगर यहाँ हमने अपने आपको ही तौलना है । यह देखना है कि क्या हम सहज संस्कृति का पालन कर रहे हैं या नहीं। अगर आपने सहज संस्कृति को नहीं अपनाया तो आपके लिए बहत कठिन हो जाएगा। आपको सावधान करना चाहती हूँ कि जो नाव सब को लेकर चलने वाली है, उस पर 19900114_Makar Sankranti Puja_Mumbai.pdf-page4.txt Hindi Translation (English Talk) कुछ लोग तो पीछे रह गये हैं, कृपया उनकी मदद आप सवार नहीं हो पाएंगे, फिर आप कहोगे कि 'माताजी, कीजिए ।' ऐसे लोगों की आप मदद कीजिए, उनको वास्तविक स्थिती से पहचान करवा दीजिए । साफ शब्दों में कह दीजिए । उन्हें नेक रास्ते पर चलने की साफ-साफ सूचना दीजिए। जब भी आपको पता चलें कि वे गलत रास्ते से जा रहे हैं उन्हें सतर्क कर दीजिए। दिन-ब-दिन हालात खराब होती जा रही हैं। निर्णायक समय आ चुका है। तो आप सभी ने सहजयोग को सहज में ना ले तो बहुत अच्छा होगा। यही मैं आपसे निवेदन करना चाहती हैँ। बाकी सब चीज़ें एक माया जाल की तरह है जहाँ आपको भौतिक चीज़ें ठीक लगती है, उनसे आप सब कर सकते हैं, ऐसा लगता है आपको। यहाँ परमात्मा यह नहीं देखते हैं कि कौन अमिर है, कौन पैसे वाला है, कौन गरीब है। वह केवल एक ही चीज़ देखता हैं कि आप अध्यात्म की दृष्टि से कितने अमीर हैं। परमात्मा यह भी नहीं देखता कि, आपकी शैक्षिक पात्रता क्या है, आपके पास विश्वविद्यालय की कितनी उपाधियाँ हैं। आप का उद्देश्य क्या है। वह केवल यह देखता हैं कि आप कितने अबोध है। आपने सहजयोग के लिए क्या किया ? आपने ईश्वर के लिए कितना काम किया ? इसलिए आपने कौन कौन सी चीज़ों को प्राधान्य देना है यह आपने तय करना है इसकी ओर नजर रखें। सहजयोग आपको अत्यन्त सूक्ष्म से आँकता है। तो अब इस निर्णायक समय में आप लोग | निर्णायक जाने गये हैं। मगर आने वाली चढ़ान के लिए आपको अत्यन्त सावधानी बरतनी है। जिनको हृदय से लगता है कि मैं एक सहजयोगी हूँ पर वास्तव में नहीं है, ऐसे लोग पीछे रह सकते हैं । तो अब सूर्य का उदय हो चुका है। शिरोबिन्दु तक यह अत्यन्त महत्वपूर्ण बात है। ऐसे में हर एक ने अपने आप में सावधानी बरतनी है। जो सूरज अपने इर्द-गिर्द हरियाली फैलाता है वही सूरज अपनी गर्मी से हमें झुलसा सकता है। तो आप सावधानी से रहें। हर वक्त सहजयोग के मार्गदर्शन में रहें आरै देखें कि हमसे क्या गलतियाँ हुई है। हममें यह जडत्व क्यों निर्माण हुआ है, हमारा यह मार्ग क्यों दुर्गम होता जा रहा है? अब तक तो मैं बहुत ही खुश हूँ बहुत आनन्द में हूँ कि आज तक मैं आपको जो भी कहती रही, जिस जिसका भी आपको मार्गदर्शन दिया है, वह आपने शांती से सुना और अपनाया भी है। और तो और रोज मर्रा की जिन्दगी में आपने उसे ग्रहण भी किया है, अमल भी किया है। मुझे नहीं लगता है कि कुछ समय के बाद आपको कुछ बताने की जरूरत पड़ती। आगे जा कर आपको आपके प्रकाश में ही ज्ञान हो जाएगा कि क्या गलता है क्या सही है। फिर भी मुझे लगता है कि पूजा में और संगीत में तथा और अन्य चीज़ों के लिए आप अपना हृदय खोल दें। अगर आप अपना हृदय नहीं खोलेंगे तो कोई भी चीज़ कार्यान्वित नहीं होगी। कोई भी चीज़ उसी समय कार्यान्वित होगी जब आपकी आत्मा हृदय में होगी। आपकी सभी कंडिशनिंग्ज आपका अहंकार पूर्णतया गायब हो जाएगा, अगर आप खुद ही तय करेंगे कि सहजयोग के लिए मैं अपना हृदय संपूर्णतया खोल दूँ। आपको अनेक आशीर्वाद ! 19900114_Makar Sankranti Puja_Mumbai.pdf-page5.txt MARATHI TRANSLATION (English Talk) आजचा दिवस भारतात आपल्याला साजरा करण्याजोगा आहे कारण सूर्य हा आता मकरवृत्तात आहे आणि मकरवृत्तातून तो कर्कवृत्ताकडे येतो जेव्हा सूर्य हा पृथ्वीकडे परत येतो तेव्हा ह्या धरणीमातेची संपूर्ण सर्जनशीलता कार्यान्वित होते आणि ती अत्यंत सुंदर अशा फुलांची निर्मिती करते, तसेच सुंदर, पौष्टिक गोष्टींची आणि पुन्हा पूर्तता देणार्या गोष्टींची उदा.फळांची निर्मिती आणि ती आपल्या डोळ्यांना, हिरवळीने थंडावा देते. जे तिच्याकडे आहे. सूर्याच्या केवळ आगमनाने पृथ्वी आपल्याला बहविध अनेक अशा गोष्टींनी आशीर्वादित करते. असाच एक सूर्य, सहजयोगाचा आता उगवला आहे आणि कळस, अगदी कळसापर्यंत. ह्याचा तुम्हाला प्रत्यय आलाच आहे. अगदी सर्वप्रथम, मुख्य असे तुमचे मूलाधार, त्या मूलाधाराची जी शक्ती, सर्जनशील शक्ती, जी कुंडलिनी उत्थान पावली आहे. जिच्या उत्थानाने तुमच्या अस्तित्वाला एक रूप आले आहे. त्याची प्रचिती तुम्हाला पदोपदी आली आहे. तुमचे जीवनच सुंदर बनले आहे. अगदी आनंदी, आनंदाने ओथंबलेले असे तुमचे जीवन झाले आहे. आता आपण अशा एका उच्च ठिकाणी पोहोचलो आहोत जिथून तुम्हाला उंच भरारी, एक उंच झेप घ्यायची आहे. ही भरारी घेतेवेळी तुम्हाला सारासार विचार, कल्पना आणि आपल्या अटी आपल्या श्तीं ह्या सर्वांकडे आपल्याला लक्ष द्यायला हवे. तुम्ही स्वत:ला ह्या कंडिशनिंगनी घेरलेले असते. सर्व कंडिशनिंगचा आपल्यावर भडिमार झालेला असतो. मला हे समजत नाही की ज्या गोष्टींची मूलत: काहीच किंमत नाही तरीही त्यांना आपण चिकटतो. ज्या अर्थहीन आहेत आणि ज्या नाहीशा होतात. ह्या उड्डाणात ही उंच उडी घेतेवेळी, ही झेप घेतेवेळी जी तुम्ही घेणार आहात त्यात बरेच जण पाठीमागे टाकले जाणार आहात. ह्याचा परिणाम म्हणून कदाचित त्यातून कोणी बाहेरही पडू शकणार नाही. तेव्हा ह्या क्षणी माझी तुम्हाला नम्र विनंती आहे की तुम्ही स्वत:ला ध्यानामध्ये संपूर्ण समर्पित करून घ्या. सामूहिकतेत स्वत:ला झोकून द्या. दररोज तुम्ही स्वत:ला हा प्रश्न केला पाहिजे की मी सहजयोगासाठी काय केले? मी स्वत:साठी काय केले? कृपया तुम्ही स्वत: हे समजून घ्या की तुम्ही ही जी झेप घेतली आहे, जी जबाबदारी स्वीकारली आहे ती संपूर्णपणे अचूकपणे घेतली पाहिजे. त्यासाठी मी तुम्हाला संपूर्ण तयारीत रहा हा सल्ला देते. संपूर्ण तयारीत राहणे म्हणजे ह्या उडीमध्ये, ह्या भरारीमध्ये तुम्ही स्वत:लाच कुठे हरवून बसाल किंवा काही पाठीमागे ही टाकले जाल. कारण तुम्ही स्वत:ला त्या कंडिशनिंगमधून बाहेर काढले नसेल. कंडिशनिंग अनेक प्रकारच्या आहेत. काही अज्ञानातून निर्माण होतात. काही अंधविश्वासातून आणि अशा अनेक गोष्टी ज्यामधून आपल्याला जावे लागलेले असते. कधीकधी आपल्या देशाच्या कंडिशनिंग असतात, कधी आपल्या जातीच्या, काही आपल्याच विशिष्ट शैलीतून निर्माण झालेल्या असतात आणि अजून अशा बऱ्याच गोष्टी असतात ज्यातून आपण दुसऱ्यांना तोलत-मोलत असतो. परंतु इथे आपण स्वत:लाच तोलायला हवे, स्वत:ला सांगायला हवे की आपण स्वत: सहज संस्कृती अंगीकारली आहे. ही गोष्ट लक्षात नाही ठेवली तर 6. 19900114_Makar Sankranti Puja_Mumbai.pdf-page6.txt Marathi Translation (English Talk) खुप कठीण होऊन बसेल. जी बोट आपल्याला घेऊन जाणार-मी तुम्हाला सावध करू इच्छिते ह्याबाबत, की म्हणाल, 'माताजी, किती तरी लोक पाठीमागे राहिले आहेत.' जर तुमच्या लक्षात आले की काही लोक पाठीमागेच आहेत, त्यांना मदत करा. वस्तुस्थितीची जाणीव द्या. स्पष्ट शब्दात सांगून आणि स्पष्ट सूचना देऊन त्यांना योग्य मार्गावर ठेवा. तुम्हाला जर जाणवले की अमूक एक चुकीच्या मार्गावर आहे तर त्याला योग्य ताकीद द्या. आज ह्या क्षणी ही वेळ अटीतटीची आहे. तेव्हा तुम्ही सर्वांनी सहजयोगाला एकदम गृहीत धरू नका हे मी तुम्हाला सांगू इच्छिते. इतर सर्व गोष्टी एखाद्या मृगजळासारख्या आहेत. ज्या तुम्हाला त्या वेळी भौतिकतेतल्या गोष्टीच बरोबर असल्यासारख्या वाटतात आणि ह्या भौतिकतेतल्या गोष्टी तुम्ही थोड्या ताब्यात ठेऊ शकता. इथे परमेश्वर पर्वा करत नाही की कोण श्रीमंत आहे, अत्यंत सुस्थितीत आहे आणि कोण गरीब आहे. तो केवळ हे बघतो की आध्यात्मिक दृष्टीने कोण किती श्रीमंत आहे. परमेश्वर हे ही बघत नाही की तुमची शैक्षणिक पात्रता काय आहे ? तुमच्याकडे किती पदव्या आहेत किंवा तुमचा दिखाऊपणा किती वगैरे. तो केवळ बघतो हे की तुम्ही किती अबोधित आहात. तुम्ही सहजयोगासाठी किती कार्य केले? तुम्ही परमेश्वरासाठी काय काम केले? तेव्हा तुम्ही तुमच्या कोणत्या गोष्टींना प्राधान्य द्यायला हवे ह्याकडे लक्ष द्या. मी तुम्हाला आवर्जून सांगू इच्छिते की सहजयोग तुम्हाला अत्यंत सूक्ष्म नजरेतून पारखत असतो. तेव्हा ह्या अखेरच्या निवाड्यात तुम्ही लोक निर्णायक ठरला आहात. परंतु पुढच्या पायरीसाठी तुम्हाला अत्यंत काळजीपूर्वक राहायला हवे, ज्यांना वाटते अगदी हृदयातून की मी सहजयोगी आहे पण ते नाही आहेत, ते पाठीमागेच राहतात ह्या शर्यतीत. तेव्हा सुर्य उगवला आहे हे अत्यंत महत्त्वाचे आहे. अगदी शिखरापर्यंत पोहोचला आहे आणि ह्या काळात प्रत्येकाने ही काळजी घ्यायला हवी की तोच सूर्य आपल्या सभोवताली हिरवळ पसरवितो तोच सूर्य आपल्या प्रखरतेने ओरबाडे मारतो. तेव्हा काळजीपूर्वक राहा. आपल्यामध्ये काय चुकते, आपल्यामध्ये असे जडत्व का येते, आपला मार्ग असा दुर्गम का होतोय? परंतु आतापर्यंत मी अतिशय खुष आहे, अगदी आंनदी आहे जे काही मी तुम्हाला सांगत आले, ज्या ज्या बाबतीत मी तुम्हाला मार्गदर्शन केले ते तुम्ही शांतपणे मान्य केले अगदी रोजच्या जीवनात तुम्ही त्याला ग्रहण केलेत, त्याला अमलात आणले. काही कालांतराने मला नाही वाटत की मला तुम्हाला आणखी काही सांगायची जरूर पडेल. पुढे तुम्हाला तुमच्याच प्रकाशात काय चूक आहे, काय बरोबर हे आपोआपच दिसायला लागेल. परंतु तरीपण मला वाटते पूजेमध्ये, संगीतात तसेच प्रत्येक गोष्टीमध्ये तुम्ही तुमचे हृदय उघडे ठेवायला हवे. जर तुम्ही तुमचे हृदय उघडे ठेवले नाही तर कोणतीच गोष्ट कार्यान्वित होणार नाही. कारण ती गोष्ट तेव्हाच कार्यान्वित होते जेव्हा तुमचा आत्मा तुमच्या हृदयात असतो. तुमच्या सर्व कंडिशनिंग्ज तुमचा अहंकार पूर्णपणे गायब होईल जेव्हा तुम्ही तुमचेच ठरवाल की सहजयोगासाठी मी माझे हृदय संपूर्णपणे उघडे ठेवायला हवे. तुम्हाला अनेक आशीर्वाद !